शालिग्राम

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आप सभी जानते हैं कि भारत भूमि ऋषियों मुनियों की भूमि रही है | हिन्दू संस्कृति बहुत ही दुर्लभ संस्कृति है इसलिए बहुत ही दुर्लभ वस्तुएं देवी देवताओं के अवतार के रूप में हमें इस भूमि पर मिली हैं | यह हम सबका परम सौभाग्य है कि एैसी ही एक वस्तु शालिग्राम शिला के रूप में भगवान विष्णु के दस अवतारों के स्वरुप में हमें मिली है |

शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु के साक्षात स्वरुप में शालिग्राम शिला के बारे में सबसे प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की दोनों पत्नियों माँ सरस्वती एवं माँ लक्ष्मी जी में एक समय झगड़ा हो गया | इस झगड़े के फलस्वरूप माँ सरस्वती के श्राप के कारण से माँ लक्ष्मी जी तुलसी के रूप में सदा के लिए इस पृथ्वी पर विराजमान हो गई | भगवान विष्णु महालक्ष्मी को वापस स्वर्ग में ले जाने के लिए गण्डकी नदी में शिला के रूप में इंतज़ार करते रहे और जल में बहने के कारण से भगवान विष्णु के दसों अवतारों के चिन्ह उन शिलाओं पर आ गए जिन्हें शालिग्राम शिला के नाम से जाना गया |

शास्त्रों के अनुसार चूँकि इस शिला में भगवान विष्णु स्वयं विराजमान हैं इसलिए इस शिला की पूजा करने से भगवान विष्णु का साक्षात आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में लगभग हर प्रकार की समस्या से मुक्ति इस शिला के पूजन से प्राप्त की जा सकती है | स्कन्दपुराण नामक ग्रन्थ के अनुसार शालिग्राम शिला एवं माँ लक्ष्मी के स्वरुप माँ तुलसी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है इसलिए माँ तुलसी और शालिग्राम का विवाह भी करवाया जाता है | जितने भी ग्रंथों में शालिग्राम शिला के बारे में विवरण आता है सभी में इसकी पूजा आराधना और उपासना करने से दिव्य फल की प्राप्ति होती है एैसा लिखा गया है अतः इस भूमि के समस्त जनों के कल्याण के लिए भगवान विष्णु के साक्षात अवतार शालिग्राम शिला के दिव्य स्वरुप को घर लाकर आदर पूर्व उनकी स्थापना करनी चाहिए और नियमित रूप से भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए |

सौभाविक रूप से अंकित शंख, चक्र, गदा या पद्म बने होने के कारण इनकी स्थापना अपने घरों में करने से अत्यंत लाभ मिलता है | पुराणों में तो यहाँ तक कहा गया है की जिस घर में भगवान शालिग्राम स्थापित हों वह घर समस्त तीर्थों से भी श्रेष्ठ है | प्रति वर्ष कार्तिक मॉस की द्वादशी को महिलाऐं लक्ष्मी के स्वरुप माँ तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरुप भगवान शालिग्राम का विवाह कराती हैं और लाभ प्राप्त करती हैं | शास्त्रों में कहा गया है कि पुरषोत्तम मॉस में एक लाख तुलसी दल से भगवान शालिग्राम का पूजन समस्त जीवन के दान पुण्य और शुभ कर्मों के फल के बराबर फल प्रदान करता है और यह पूजन करने वाला व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में विचरण करता है | एैसा कहा गया है जहाँ भगवान विष्णु की शालिग्राम के रूप में पूजा की जाति है वहां माँ लक्ष्मी स्वयं वास करने लगती हैं और घर में सुख समृधि, सम्पत्ति एवं धन लक्ष्मी बरसने लगती है | “ॐ नमो भगवते वासुदेवाए नमः” के जाप से भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम शिला की पूजा करनी चाहिए |

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