We are in the Divine Business of Rudrakshas, Gems & Jewellery and Spiritual Articles from the past 30 years. We are a well established wholesaler and exporter of Rudrakshas and Gemstones. We only deal in Pure and Natural products. Our only aim is 100% customer satisfaction through our quality products and reasonable prices.
30 years ago, my Father – Acharya Anil Johri met an Astrologer and he told him to wear a Rudraksha Mala for prosperity and successful life but my Father was unable to find a single Rudraksha Mala in Delhi. He thought that such a precious thing is not available here, so he decided to bring it in Delhi and in 1987 opened a shop by the name of Shiv Rudraksh Kendra. From 1985 my Father is acquiring detailed information on Astrology, Gemstones and Rudraksh Beads and because of his accurate calculations thousands of people including top bureaucrats, industrialists and successful businessmen have been benefited. From 1987 we are selling 100% Pure Rudraksha and Natural Precious Stones in Delhi.
This is our family business. Now we have started doing business online to reach more people and to tell them the benefits of Pure and Natural Rudrakshas and Gemstones. Our 30 years of experience will give you best quality certified products. In case of any query, we are always here to help you.
परिचय – आचार्य अनिल जौहरी
सन 1981 की बात है जब मैं कॉलेज मे पढाई कर रहा था तो उस समय घर में भी और पढाई में भी बहुत संघर्ष चल रहा था | मन बहुत परेशान रहता था उन्हीं दिनों किसी अखबार में मैने एक ज्योतिषी का विज्ञापन पड़ा तो मै अगले दिन उनके पास चला गया | मैने उन्हें बताया कि में बहुत परेशान चल रहा हूं, पढाई मे बिलकुल मन नहीं लगता और हर समय टेन्शन रहती है | उन्होंने सारी गणना के बाद मुझे कहा की बेटा तुम्हें घबराने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि आने वाले समय में जो पढाई तुम कर रहे हो वह तुम्हारे काम नहीं आनी और आज तुम मेरे पास आए हो कल को दुनिया तुम्हारे पास आयेगी | तुम खुद प्रकाण्ड पंडित बनोगे और हीरे पन्ने के पारखी बनोगे | तुम सिर्फ एक रुद्राक्ष की माला लो और उस पर “ॐ नमः शिवाय” का जाप करो और मंगलवार और शनिवार को सुन्दर काण्ड का पाठ करो | तुम्हें अपने जीवन की सही राह मिल जायेगी |
यह सुन कर मै बाहर आ गया और अपने घर की तरफ चल पड़ा | वापस जाते समय मैं सोच रहा था कि आज का दिन और पैसे बेकार गए मेरा हीरे पन्ने से कोई दूर दूर तक वास्ता नहीं, मै कहाँ से पंडित बन जाऊँगा | यह सोचते हुए मैं अपने घर आ गया और इसी तरह से लगभग दो साल और बीत गए | दो साल बाद एक दिन मै मंगलवार को हनुमान मंदिर मे बूंदी का प्रसाद चढाने गया तो उस मंदिर मे एक वृद्ध ब्राह्मण थे, मैने ऐसे ही उनसे पूछ लिया कि पंडित जी बहुत परेशान रहता हूँ क्या करूँ कुछ समझ नहीं आता कृपया आप मेरा मार्गदर्शन करें | यह सुनकर पंडित जी ने बड़े ध्यान से मेरी ओर देखा और कहा की तुम सुन्दरकाण्ड का पाठ किया करो सब ठीक हो जायेगा | जब मैने यह सुना तो मुझे दो साल पुरानी बात याद आ गई | मैने सोचा कि क्यों न पाठ कर के देख लिया जाए शायद फर्क पड़ ही जाए | यह सोच कर मैने पंडित जी से पाठ की सारी विधि पूछी और विधि विधान को समझ कर मैं घर आ गया और यह निर्णय ले लिया कि अगले मंगलवार से मै पाठ शुरू कर दूंगा | मैने 45 दिन तक नियमित रूप से सुन्दरकाण्ड का पाठ किया और उसके बाद जो मैंने महसूस किया उस दिव्य अनुभव को मै शब्दों में बयान नहीं कर सकता | मेरा विश्वास अब जम चुका था और मैने अब भगवान शिव का जाप करने की ठान कर रुद्राक्ष की माला ढूँढनी शुरू कर दी | मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब सारी दिल्ली में ढूँढने पर भी मुझे एक माला नहीं मिली | मैने हरिद्वार जाकर माला खरीदी और घर आकर मैने “ॐ नमः शिवाय” का जाप प्रारम्भ कर दिया | उस के बाद मेरी साधना रुकी नहीं और मै साधना के क्षेत्र मे आगे बड़ता गया | शिव के सवा लाख जाप के बाद मैने सोचा कि जो रुद्राक्ष इतना महत्वपूर्ण है मैं उसे लोगों के कल्याण के लिए दिल्ली लाउँगा और मैने सन 1987 मे “शिव रुद्राक्ष केंद्र” की स्थापना दिल्ली में की और दिल्ली वासियो को शुद्ध व असली रत्न एवं रुद्राक्ष बहुत ही कम मुनाफे पर देने शुरू किये | आज उसी परम्परा को जारी रखते हुए मेरा बेटा Rudra Gems के नाम से सारे विश्व मे शुद्ध व असली रुद्राक्ष एवं रत्न उपलब्ध करा रहा है और मैने जो 1985 से ज्योतिष का ज्ञान हासिल करना शुरू किया तो आज तक उसी परम्परा को निभा रहा हूँ इन पिछले 30 सालों में मैने बहुत से ग्रंथों का और बहुत सी ज्योतिष की पुस्तकों का अध्यन किया और ज्योतिष की सटीक गणऩा को समझा और ग्रहों के सही आकलन करके एक “दिव्य जन्म पत्रिका” का निर्माण किया |
इस दिव्य जन्म पत्रिका मे ग्रहों का सही विशलेषण कर के लाल किताब, काली किताब, वृहद् संहिता, मान सागरी आदि ग्रंथों के गहन अध्यन के पश्चात् अनुभव में आए सटीक उपाय दिये गए हैं जिनको करके निश्चित रूप से लाभ प्राप्त किया जा सकता है | नेपाल के अदिव्तीय तान्त्रिक राणा रणवीर सिंह सांगा द्वारा लिखी सुनहेरी किताब के भी कुछ पन्ने पड़ने का सुअवसर भी मुझे मिल चुका है जो की अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुए है | अपने लगभग 30 वर्षो के अनुभव को मैने इस दिव्य जन्म पत्रिका में मानवता के कल्याण के लिए समेटा है और विश्व भर में लोगो ने इसे सराहा है | इस बात का मुझे बहुत ही हर्ष महसूस होता है | इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अब मै अपने ब्लॉग पर आधात्मिक लेख लिखने शुरू कर रहा हूं ताकि भारत वासियों को ही नहीं अपितु सारे विश्व को भारतीय संस्कृति एवं भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा लिखित आधात्मिक ज्ञान की जानकारी हो सके और ज्योतिष ज्ञान को पूरे विश्व में मान्यता मिल सके और इस विषय पर और अधिक अनुसन्धान हो सकें | यही मेरी प्रभु के श्री चरणों में प्रार्थना है |